Friday 1 May 2015

किताबों के पन्नें पलट के सोचते है ,
यूँ पलट जाए ज़िंदगी तो क्या बात है ,
तमन्ना जो पूरी हो ख्वाबो में ,
हक़ीक़त बन जाए तो क्या बात है ,
कुछ लोग मतलब के लिए ढूढ़ते है मुझे ,
बिन मतलब कोई आए तो क्या बात है ,
क़त्ल करके तो सब ले जायेगे दिल मेरा ,
कोई बातो से ले जाये तो क्या बात है ,
जो शरीफो की शराफत में बात ना हो ,
एक शराबी कह जाए तो क्या बात है ,
जिंदिगी रहने तक खुशी दूंगा सबको ,
किसी को मेरी मौत पे ख़ुशी मिल जाए तो क्या बात है ।

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